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प्यार की बात

लगभग कुछ दिनों से अंतिमा के पति की तबीयत खराब चल रही थी। वह ज्यादा समय अपने पति की देखभाल में ही लगी रहती, अपने दोनों बच्चों पर भी ध्यान नहीं दे पा रही थी। अंतिमा के पति रमेश को अस्थमा की बीमारी थी जो की दिन ब दिन गंभीर होती जा रही थी, और अंतिमा की चिंता बढ़ती जा रही थी।

उसके बच्चे भी

अभी इतने बड़े नहीं हुए थे कि घर का खर्चा उठा सके। अभी तो दोनों बहन भाई की पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई थी। रौनक और काव्य दोनों बहन भाई साथ ही एक ही स्कूल में पढ़ते थे, और दोनों को अपने माता-पिता की चिंता सताती थी। रोनक उनका इकलौता बेटा था, तो जिम्मेदारी रौनक पर ही आनी थी और अपनी बहन की शादी भी एक अच्छे परिवार में करनी थी।

जैसे ही रौनक का स्कूल पूरा होता है रौनक एक अच्छी नौकरी ढूंढना शुरू कर देता है। जैसे-जैसे रौनक की उम्र बढ़ रही थी वैसे ही वह परिवार की परेशानियां समझने लग गया था तो वह रोज नौकरी के लिए शहर में इधर-उधर भटकता रहता।

लगभग 10 दिन

तक प्रयास करने के बाद उसे एक ढाबे पर वेटर की नौकरी मिलती है। रौनक की मजबूरी थी इसलिए उसे यह काम तो करना ही था। ढाबे के सेट का बर्ताव अच्छा नहीं होता है, और रौनक को वह पसंद नहीं आता है।

थोड़े दिन तो रौनक ने कैसे भी काम कर लिया लेकिन फिर उसने ढाबे की नौकरी छोड़ दी काव्या रौनक से नौकरी छोड़ने का कारण पूछती है तो रोनक उसे सब कुछ बता बता देता है। रौनक को मजबूरी में ढाबे पर काम करना पड़ रहा था लेकिन उसे ढाबे का काम बिल्कुल पसंद नहीं था।

अंतिमा और रमेश

की कमाने की हालत भी नहीं होती है। रमेश की अस्थमा की बीमारी बढ़ती जा रही थी, और अंतिम का पूरा समय रमेश की देखभाल में निकल जाता ।
ऐसे करके दोनों बच्चों पर जिम्मेदारियां का बोझ आ गया था। काव्य भी रोनक की आर्थिक रूप से मदद करने की कोशिश कर रही थी । दोनों बहन भाई घर का राशन भी लाते और अपने पिता की दवाई भी लाते। कैसे भी करके अपने परिवार को चलाने के लिए पैसों का इंतज़ाम करते।

बच्चों की चिंता

एक दिन जब रौनक अपने पिता रमेश को डॉक्टर के ले जाता है तो डॉक्टर रमेश की हालत देखकर गंभीर हालत बताता है। अब रमेश को भी अपने दोनों बच्चों की चिंता थी कि कैसे इतनी कम उम्र में उन पर जिम्मेदारियां पड़ गई।

अब रमेश रौनक

और काव्या की शादी के बारे में सोचता है थोड़े ही दिन बाद रमेश की शादी कर अपनी बहू को घर ले आते हैं। रौनक की शादी का बोझ तो उतर गया था लेकिन अभी भी काव्या की शादी करना बाकी था।

तो हो जाती है लेकिन उसकी पत्नी घर का कोई कामकाज ही नहीं करती है। और मॉडर्न बहुओ की तरह रहती है। अपनी शादी शुदा जीवन पर ध्यान ही नहीं देती है। भाभी के आने के बाद भी काव्य को घर का काम अकेले ही करना पड़ रहा था।


रौनक की पत्नी

तो आज के जमाने की लड़कियों की तरह ही बर्ताव करती, जो कि उसे कोई गलत नहीं कहता। लेकिन वह अपने ससुराल वालों की तरफ ध्यान ही नहीं देती थी। शादी के 1 साल बाद ही रौनक ने अपनी पत्नी की हरकतों के कारण उसे तलाक दे दिया।
रौनक के माता-पिता ने रौनक को खूब समझाया लेकिन रौनक ने कहा कि, जब इसे अपने परिवार की ही चिंता नहीं है तो यह मेरा क्या हि साथ देगी। मेरे परिवार को अपना परिवार नहीं समझती है, और फिर उन दोनों का तलाक हो जाता है।
रमेश की कुछ दिनों बाद अस्थमा अटैक से मौत हो जाती है, और अंतिम वह सदमा झेल नहीं पाती और अंतिम भी चुप सी रहने लगती है।

अचानक से उनके

घर में दुखों का संकट पड़ जाता है। अब अकेले रौनक पर घर की जिम्मेदारी आ जाती है। और अपनी बहन की शादी करने की भी टेंशन होती है। अपने पिता की मौत के 2 साल बाद ही रोनक काव्या की शादी एक अच्छे परिवार में करवा देता है।
काव्या अपने ससुराल में खुशी से रहती है और उसका पति भी काव्या की बातें समझता था और उसका साथ देता था। रौनक अपनी बहन को खुश देखकर उसकी तरफ से तो चिंता मुक्त हो जाता है। लेकिन काव्या को तो अपने भाई और मां की चिंता होती थी, और उनके बारे में सोच कर दुखी होती थी।

काव्या हर रोज अपनी मां और भाई से फोन पर बात करती और हंसी मजाक करके उन्हें भी अच्छा लगता। लेकिन अब अंतिम की भी तबीयत ठीक नहीं रहती थी, तो घर में उसका ध्यान रखने के लिए कोई भी नहीं था। रोनक भी दिन में तो काम पर चला जाता था तो अंतिम का ध्यान कौन रखता।

रौनक की दूसरी शादी

रौनक के ऑफिस में एक लड़की थी, जो रौनक को पसंद करती थी। रौनक के व्यवहार को पसंद करती थी। रौनक बहुत समझदार और शांत स्वभाव का लड़का था, तो उस लड़की को रौनक का यही व्यवहार पसंद आ गया था।

वह लड़की

एक दिन ऑफिस की कैंटीन में रौनक को खुद की फिलिंग्स बताती है। उस लड़की को रौनक के तलाक से भी कोई दिक्कत नहीं होती है। वह रौनक की पहली शादी के बारे में कोई बातचीत नहीं करती है।

कुछ

दिनों बाद रौनक उस लड़की से शादी कर लेता है और वह लड़की उसकी मां का बहुत ध्यान रखती है। उस लड़की को घर में आने के बाद रौनक के परिवार में खुशियां आ गई और वह बहुत अच्छे से खुशी-खुशी रहने लगे।


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