एक लड़का जिसका नाम देव था देव उज्जैन का रहने वाला था उसके पापा एक आर्मी ऑफिसर देव के पापा के साथ ही एक अंकल जिनका नाम शिवराज था वो भी नौकरी करते थे शिवराज जी के एक लड़की थी जिसका नाम दिव्या था जो कि जम्मू में रहती थी एक बार जब शिवराज जी को कोई काम आ गया या उस दिन उन की बेटी दिव्या को जम्मू से लेने जाना था देव को दिव्या को लेने भेज दिया
सफ़र की शुरुआत
देव को ना चाटे हुए भी दिव्या को लेने जम जना पाडा देव ने जम्मू पूछ कर दिव्या को पिक किया देव दिव्या को देख कर बिल्कुल ही डांग रह गया क्यों की द्वाव्या दिखने में बहुत सुन्दर थी दोनों ने सफर की शुरूआत कि दव्व्या को देव के बारे में मुझे पता है कि पापा ने पहले ही बता दिया धन्यवाद कि देव थोडा सरमिला लड़का है जब तक किसी से भी आगे से बात नहीं तो द्वव्या ने देव से आगे से बात की डोनो को एक दूसरे को अच्छा समझ लिया और डोनॉन एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए
दोस्ती का प्यार बदलना
देव और दिव्या डोनन ही बहुत अच्छे दोस्त बन चुके थे और दिव्या को उज्जैन में कहीं भी कोई काम पड़ता तो वह देव को ही फोन कर लेती और दोनों साथ-साथ ही जाते धीरे-धीरे- एक दूसरे की दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदलने लगी दोनों एक दूसरे से प्यार करने लग गए मानो की जैसे डोनों को एक दूसरे की आदत हो गई हो
घर पर बात
दोनो ने फैसला किया कि अब हम अपने घर पर अपने बारे में बता देंगे और अपने घरवालों को शादी के लिए मनाएंगे दिव्या अपने पापा के इकलौती बेटी होने के करण दिव्य नेतो आसनी से बता दिया लेकिन देव की अपने मम्मी पापा से थोड़ी कम बनती थी इस वजह से देव ने अपने घर पर कुछ नहीं बताया और उसने दिव्या से बोला कि तुम्हारे पापा को बोलो मेरे घर पर भी बात करें देव के पापा और दिव्या के पापा अच्छे दोस्त तो दिव्या के पापा ने बात करके देव और दिव्या की शादी करवा दी
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