राहुल नाम का लड़का था जो अपने गांव से दूर एक शहर में पढाई करता था राहुल बारहवीं कक्षा का छात्र था राहुल एक सामान्य परिवार से संबंधित कर्ता था राहुल के पापा एक साधारण किसान राहुल की पढ़ाई लिखाई के लिए बहुत मेहनत करते थे राहुल भी पढने में काफी अच्छा था
राहुल की जिंदगी में बदलाव
राहुल जब 12वीं क्लास में था तब ही उनके स्कूल में एक भावना नाम की लड़की ने एडमिशन लिया भावना देखने में काफी सुंदर थी भावना को जब राहुल ने पहली बार भावना को देखा तो राहुल को भावना बहुत पसंद आई और राहुल अंदर ही अंदर भावना को पसंद करने लगा लेकिन भावना नई स्टूडेंट होने के करण भावना क्लास में कम बात करती थी भावना के स्कूल में आते ही पहले दोस्त एक सपना नाम की लड़की बनी और सपना राहुल की भी दोस्त थी राहुल अंदर ही अंदर भावना को बहुत ज्यादा पसंद करने लग गया था अब राहुल का ना तो पढाई में मन लगता था और ना ही किसी और चीज़ में
राहुल का भावना के लिए सपना को बताना
कुछ दिन बाद राहुल ने भावना के बारे में सपना को बताया, सपना ने बोला कि मैं बात करूंगी और उसके दो-तीन दिन बाद सपना ने बातों ही बातों में भावना के सामने राहुल की बात की और उसने पूछा कि क्या तू राहुल से दोस्ती करेगी भावना ने सपने के सवाल को सुनकर थोड़ा अजीब रिएक्ट किया और भावना को यह कहकर रोक दिया कि मैं सोच कर बताऊंगी इधर राहुल के मन में अलग-अलग ख्याल आने लगे राहुल ही सोच के परेशान होने लगा कि अगर भावना को सपना की बातों का बुरा लग गया तो क्या होगा
कुछ दिन बाद
उस दिन के बाड भावना कुछ दिनों के लिए स्कूल नहीं आई और इस बात से राहुल भी काफी परेशान राह और भावना के बारे में मैं ही सोच-सोच कर परेशान हो गया और उसने सपना से भावना के बारे में पूछा लेकिन सपना को भी भावना के बारे में कुछ पता नहीं था कुछ दिनों के बाद भावना स्कूल आई सपना ने भावना से पूछा कि तुम अचानक कहा गई इतने दिन तक डोनो को बात करते देख राहुल भी उन के पास आ गया भावना ने अचानक कहा कि एम राहुल से अकेले में बात करनी है ये सुन्न कर सपना बहा से चली गई
राहुल और भावना की बात
भावना ने राहुल से बोला बताओ क्या बात करनी थी राहुल भावना के इस बार्ताव से घबरा गया और उसने सोचा कि आज मेरा खेल ख़तम है भावना ने फिर से बोला कि बताओ क्या बात करनी है राहुल ने साफ-साफ मन कर दिया कि कुछ भी नहीं मैंने तो ऐसे ही बोल दिया था यह सुनकर भावना हंस गयी और बोली कि मुझे भी तुमसे बात करनी है और दोनों में बातें शुरू हो गईं अब वो दोनो स्कूल आते ही एक दूसरे से बातें शुरू कर देते धीरे-धीरे उनके चर्चे पूरी स्कूल में होने लगे लेकिन एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त बन चुके, तब तक और उनको किसी की कोई भी बात से किसी तरह का कोई फ़र्क नहीं पड़ता था
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